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कल आने वाले बजट से पहले आज सरकार की तरफ से आर्थिक सर्वेक्षण जारी किया गया, जिसमें सरकार के अनुसार प्रायवेट सेक्टर ने लाभ कमाया है लेकिन उस हिसाब से नौकरियों और वेतन में वृद्धि नहीं की है। सरकार ने कहा कि रोजगार सबसे ज्यादा निजी क्षेत्र में ही दिया जाता है। आर्थिक प्रदर्शन के आधार पर अगर लिया जाए तो कॉर्पोरेट सेक्टर का इतना अच्छा प्रदर्शन कभी नहीं रहा। 33 हजार कंपनियों के पिछले तीन सालों के प्रदर्शन को देखा जाए तो यह तीन साल भारतीय निजी क्षेत्र के लिए बहुत लाभकारी साबित हुए हैं।
सरकार ने कहा कि सामान्य रुप से देखें तो लाभ के साथ-साथ कंपनियां नए कर्मचारियों को नौकरी पर रखती हैं और पुराने कर्मचारियों की वेतन में वृद्धि करती हैं क्योंकि यह कंपनी के हित में होता है। लेकिन इन कंपनियों ने मुनाफा तो कमाया लेकिन नई नौकरियां नहीं बनाई।
निजी क्षेत्र बनाएगा विकसित भारत
आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार भारत में निजी क्षेत्र में नौकरियों के बढ़ने उनकी गुणवत्ता के बढ़ाने में मदद करने वाले कुछ क्षेत्र राज्य सरकारों के अंतर्गत भी आते हैं। ऐसे में अगर निजी क्षेत्र को 2047 तक भारत को विकसित देश बनाने के लक्ष्य में खुद को साबित करना है तो केंद्र, राज्य और निजी क्षेत्र के बीच में एक समझौता होना चाहिए, जिससे भारत और भारत की जनता 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त कर सके।
सर्वे के अनुसार, भारत में निजी क्षेत्र में खराब ऋण और कोविड महामारी के कारण देश को काफी आर्थिक झटके लगे, जिसके कारण देश का आर्थिक परिदृश्य को प्रभावित किया है, जिससे बेराजगारी जिस हिसाब से कम होनी चाहिए थी उस हिसाब से नहीं हुई।
भारत को करना पड़ा आर्थिक झटकों का सामना
आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार भारत को एक के बाद एक दो बड़े आर्थिक झटकों का सामना करना पड़ा, जिनमें बैंकिंग प्रणाली में खराब ऋण और उच्च कॉर्पोरेट ऋण शामिल थे। वर्तमान सरकार के पहले कार्यकाल में इसे नियंत्रण में लाने में और भी अधिक समय लगा। कोविड महामारी दूसरा झटका था और पहले झटके के तुरंत बाद आया इसलिए इससे हमारी रोजगार पैदा करने की क्षमता पर बुरा असर पड़ा।
आर्थिक सर्वेक्षण में यह भी कहा गया कि हमें विकसित देशों से भी आर्थिक मोर्चे पर लड़ाई लड़नी पड़ती है। इसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग भी शामिल है।
भारत के सामने अलग चुनौतियां
जनवरी में प्रकाशित आखिरी आर्थिक सर्वेक्षम और इस सर्वेक्षण के बीच में जियोपॉलिटिकल क्षेत्र में बड़े बदलाव हो रहे हैं। भारत 2047 तक विकसित बनने की तैयारी में हैं लेकिन हमारा रास्ता चीन के उसी रास्ते की तरह हैं जिसे उसने 1980 से 2015 के बीच में पार कर लिया है। तब का विश्व शांत था। शीत युद्ध से निकली दुनिया शांति चाहती थी। पश्चिमी देशों ने भी चीन के उदय और वैश्विक एकीकरण का समर्थन भी किया और यहां तक की उसे प्रोत्साहित भी किया। जबकि भारत के सामने अभी काफी गंभीर समस्याएं हैं या कहे तो भारत के लिए रास्ता इतना आसान नहीं है जितना चीन के लिए था।
जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग पर चिंताएं तब इतनी व्यापक या गंभीर नहीं थीं। इसके साथ ही एआई ने सभी कौशल स्तरों को अपने प्रभाव से अनिश्चितता में धकेल दिया है।
सर्वेक्षण के अनुसार आने वाले दशकों में भारत की विकास दर को और बेहतर होने से रोकने के लिए काफी बाधाएं आएंगी, इन बाधाओं से बचने के लिए केंद्र, राज्य और निजी क्षेत्र को एक महागठबंधन बनाने की आवश्यकता है।
सर्वेक्षण में कहा गया है कि ये आने वाले वर्षों और दशकों में भारत के लिए निरंतर उच्च विकास दर में बाधाएं और बाधाएं पैदा करेंगे। इन पर काबू पाने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों और निजी क्षेत्र के एक महागठबंधन की आवश्यकता है।
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