बांग्लादेश में हिंदुओं को टारगेट कर की जा रही हिंसा; विवेक रामास्वामी ने जताई चिंता

बांग्लादेश में हिंदुओं को टारगेट कर की जा रही हिंसा; विवेक रामास्वामी ने जताई चिंता


अमेरिका में राष्ट्रपति पद के पूर्व रिपब्लिकन उम्मीदवार विवेक रामास्वामी ने प्रधानमंत्री शेख हसीना के निष्कासन के बांग्लादेश में हाल ही में हुए राजनीतिक उथल-पुथल के दौरान हिंदू अल्पसंख्यक समुदाय पर हुए हमलों के खिलाफ जोरदार तरीके से बात की है। हिंसा की निंदा करते हुए रामास्वामी ने कहा कि बांग्लादेश में लंबे समय से कोटा प्रणाली को लेकर विवाद छिड़ा हुआ। इसके कारण हिंसाएं भी हुई और हिंदुओं के खिलाफ अत्याचार भी हुआ है।

रामास्वामी ने एक्स पर लिखा, “बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ टारगेटेड हिंसा गलत और चिंताजनक है। यह वहां की कोटा प्रणाली के लिए एक चेतावनी है।” रामास्वामी ने आरक्षण पर बात करते हुए कहा कि 1971 के युद्ध के बाद इसे लागू किया गया था। यह वह समय था जब बांग्लादेश को पाकिस्तान से स्वतंत्रता मिली थी।

उन्होंने कहा, “बांग्लादेश ने 1971 में अपनी स्वतंत्रता के लिए खूनी युद्ध लड़ा था। लाखों बांग्लादेशी नागरिकों का बलात्कार किया गया और उनकी हत्या कर दी गई। यह एक त्रासदी थी और इसका शोक मनाना उचित ही था। लेकिन इसके बाद बांग्लादेश ने अपनी सिविल सेवा में नौकरियों के लिए कोटा प्रणाली लागू की। 80% नौकरियां युद्ध के दिग्गज, बलात्कार पीड़ित, कम प्रतिनिधित्व वाले लोगों के लिए आरक्षित की गईं। केवल 20% योग्यता के आधार पर आवंटित की गईं।”

बांग्लादेश में राजनीतिक उथल-पुथल 5 अगस्त को चरम पर पहुंच गई जब 76 वर्षीय प्रधानमंत्री शेख हसीना हेलीकॉप्टर से देश छोड़कर भारत चली गईं। प्रदर्शनकारियों ने ढाका की सड़कों पर अपना कब्जा जमा लिया था। इसके सिथआ ही मानवाधिकारों के हनन के आरोपों से घिरे उनके 15 साल के शासन का नाटकीय अंत हुआ। उनके पद से हटाए जाने से पहले के सप्ताह खूनी थे। 450 से अधिक लोग मारे गए थे।

रामास्वामी ने दावा किया, “कोटा प्रणाली एक आपदा साबित हुई।” उन्होंने 2018 के विरोध प्रदर्शनों की ओर इशारा किया, जिसके कारण बांग्लादेश ने अधिकांश कोटा को खत्म कर दिया लेकिन 2024 में उन्हें फिर से लागू किया गया। भारतीय मूल के राजनेता ने चेतावनी दी कि पिछली गलतियों को सुधारने के लिए डिजाइन की गई ऐसी प्रणालियां अनजाने में हिंसा के चक्र को जारी रख सकती हैं।