हमास चीफ इस्माइल हानिएह की मौत के बाद से ईरान ने इजरायल के खिलाफ मोर्चा खोलने की चेतावनी दी है। हानिएह की मौत के लिए ईरान, इजरायल को दोषी मानता है। हालांकि, इजरायल ने इसकी जिम्मेदारी नहीं ली है। इजरायल ने भी कठोर शब्दों में ईरान को जबाव दे दिया है कि यदि उसने हमला किया तो नेतन्याहू की सेना भी चुप नहीं बैठेगी। इस बीच मिडिल-ईस्ट में बढ़ते क्षेत्रिय खतरों को भांपते हुए अमेरिका ने चेतावनी जारी है। अमेरिका का कहना है कि ईरान इजरायल पर हमला करता है तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं।
अमेरिका के एक वरिष्ठ अधिकारी ने शुक्रवार को स्पष्ट चेतावनी देते हुए कहा, “अगर ईरान इजराइल पर हमला करता है तो इसके गंभीर और भयावह परिणाम हो सकते हैं, जिससे गाजा संघर्ष में शांतिवार्ता की संभावनाओं को भी खतरा हो सकता है।” अधिकारी ने कहा कि अमेरिका ईरान को इस दिशा में न बढ़ने की सलाह देता है, क्योंकि इससे ईरान के लिए खास तौर पर कठिन परिणाम हो सकते हैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भी शुक्रवार को गाजा युद्ध के संदर्भ में सकारात्मक संकेत दिए। उन्होंने कहा कि 10 महीने की लंबी लड़ाई के बाद युद्धविराम की संभावना अब पहले से कहीं अधिक निकट है। अमेरिका के मध्यस्थों ने कतर में दो दिन की बातचीत के दौरान एक प्रस्ताव पेश किया है, जो दोनों पक्षों के बीच मतभेदों को कम करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।
अधिकारी ने बताया कि हिजबुल्ला ने पहले ही 7 अक्टूबर की घटना के बाद इजरायल के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। अब अगर ईरान इस समय कुछ ऐसा करता है तो युद्धविराम और बंधकों की रिहाई की संभावना को खतरे में पड़ जाएगी।
ईरान ने 31 जुलाई को तेहरान में हामास के राजनीतिक प्रमुख इस्माइल हानिएह की हत्या के बाद इजराइल को कड़ी चेतावनी दी है। इसके जवाब में, इजराइली विदेश मंत्री इजराइल काट्ज ने शुक्रवार को ब्रिटेन और फ्रांस के अपने समकक्षों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक की, जिसमें उन्होंने यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया कि अगर ईरान इजराइल पर हमला करता है, तो ब्रिटेन और फ्रांस ईरान के अंदर हमला करेंगे। अमेरिकी अधिकारियों ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस सभी संभावित परिदृश्यों के लिए तैयार हैं और ईरान के किसी भी हमले के खिलाफ इजराइल की रक्षा के लिए आवश्यक कदम उठाएंगे।