युवाओं के लिए पीएम इंटर्नशिप योजना के तहत कंपनियों द्वारा दी जाने वाली नियुक्तियों का लक्ष्य आसानी से पूरा हो गया है। इसके तहत करीब 125,000 लोगों को नियुक्ति दिए जाने की योजना है। आवेदकों का दो दिसंबर से प्लेसमेंट शुरू हो जाएगा। दो अधिकारियों ने इस बारे में जानकारी दी। गौरतलब है कि तीन जुलाई को 2024-25 के बजट भाषण में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने 1.48 करोड़ रुपए का जॉब क्रिएशन और एजुकेशन प्लान का ऐलान किया था। इसमें 10 मिलियन योग्य युवाओं के लिए पेड इंटर्नशिप शुरू करने की बात भी कही गई थी। इसके तहत अगले पांच साल में 500 शीर्ष संस्थानों में इन युवाओं को मौके दिए जाएंगे।
अधिकारियों के मुताबिक प्राइवेट सेक्टर फर्म्स में 125000 युवाओं को पेड अप्रेंटिस कराने की योजना थी। अभी तक सरकार ने 60 हजार अप्लीकेशंस को प्रॉसेस भी कर लिया है। इसके तहत युवा सरकारी पोर्टल के जरिए 25 अक्टूबर तक अप्लाई कर सकते हैं। यह अप्रेंटिस एक साल तक चलने वाली है। श्रम और रोजगार मंत्री मनसुख मंडाविया ने पिछले महीने कहाकि इंटर्नशिप योजना हमारे युवाओं को विश्व स्तरीय कंपनियों में काम करने का एक अनूठा अवसर देगी। उन्हें कॉर्पोरेट के माहौल और वर्क कल्चर को जानने-समझने का मौका मिलेगा। इससे उन्हें विभिन्न इंडस्ट्रीज में नौकरी के मौकों की तलाश में आसानी होगी।
एक अन्य अधिकारी ने बताया कि सरकार एआई बेस्ड सॉफ्टवेयर के जरिए अप्लीकेशंस और वैकेंसी को मैच कराएगी। इस योजना के तहत इंटर्न्स को हर महीने 5000 रुपए मिलेंगे। इसमें 4500 रुपए सरकार, जबकि 500 रुपए कंपनी की तरफ से दिए जाएंगे। इसके अलावा 6000 रुपए की वन-टाइम ग्रांट भी मिलेगी। इस मुहिम में 500 कंपनियां जुड़ी हुई हैं। इनमें मारुति सुजुकी इंडिया, रिलायंस इंडस्ट्रीज, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, एचडीएफसी बैंक, जुबिलिएंट फूडवर्क्स, टेक महिंद्रा और हीरो मोटोकॉर्प जैसे नाम शामिल हैं।
इन लोगों के लिए मौका
पीएम इंटर्नशिप स्कीम के लिए अप्लाई करने के लिए खास क्राइटेरिया भी बनाया गया है। इसके तहत अभ्यर्थी को कम से कम दसवीं पास होना चाहिए। उसके पास कोई फुल टाइम नौकरी न हो और उसकी उम्र 21 से 24 साल के बीच हो। पोस्टग्रेजुएट्स, आईआईटी, एनआईटी और आईआईएम के अलावा, एमबीए, सीएस, सीए और एमबीबीएस जैसी डिग्री रखने वाले इस इंटर्नशिप के लिए अप्लाई नहीं कर सकते।
दिल्ली यूनिवर्सिटी में इकॉनमिस्ट ईश्वर अरविंद ने कहाकि ऐसी स्कीम्स में कई अन्य चीजों के अलावा कंपनियों में उपलब्ध पदों के साथ स्किल मैचिंग पर निर्भर करेगा। उन्होंने कहाकि हमारे देश में शिक्षित युवाओं में बहुत बेरोजगारी इसलिए भी है क्योंकि उनकी शैक्षणिक योग्यता नौकरियों के लिए मेल नहीं खाती है।
गौरतलब है कि व्यापक पैमाने पर बढ़ते कार्यबल के लिए भारत पर्याप्त अच्छी गुणवत्ता वाली नौकरियां पैदा नहीं कर रहा है। सरकार के आर्थिक सर्वेक्षण 2024 के अनुसार, भारत को अपनी बढ़ती श्रम शक्ति के लिए 2030 तक हर साल 7.85 मिलियन गैर-कृषि रोजगार सृजित करने की जरूरत है। यह रोजगार की वर्तमान दर से कहीं अधिक है। सांख्यिकी मंत्रालय द्वारा पिछले महीने जारी किए गए आंकड़ों से पता चला है कि भारत की वार्षिक बेरोजगारी दर पिछले साल की तुलना में जुलाई 2023-जून 2024 की अवधि के लिए 3.2% पर रही।