छह माह में 5 अधिकारी बनेंगे स्पेशल डीजी, पंकज श्रीवास्तव दिसंबर में होंगे पदोन्नत

छह माह में 5 अधिकारी बनेंगे स्पेशल डीजी, पंकज श्रीवास्तव दिसंबर में होंगे पदोन्नत


मध्य प्रदेश में 1992 और 1993 बैच के आईपीएस अधिकारियों को अभी तक पदोन्नति का मौका नहीं मिला है, जबकि अन्य राज्यों में ऐसे अधिकारी डीजीपी या स्पेशल डीजी बन चुके हैं। डीजीपी सुधीर सक्सेना के सेवानिवृत्त होने के बाद 1992 बैच के अधिकारी पंकज श्रीवास्तव को स्पेशल डीजी बनाया जाएगा।

कुछ राज्यों में 30 वर्ष की सेवा पूरी होने के बाद आईपीएस अधिकारी डीजीपी या स्पेशल डीजी बन जा रहे हैं, पर मध्य प्रदेश में 1992 और 1993 बैच के अधिकारी भी अभी तक पदोन्नत नहीं हो पाए हैं। इसी माह डीजीपी सुधीर सक्सेना के सेवानिवृत होने के बाद किसी स्पेशल डीजी को डीजीपी बनने का अवसर मिलेगा। उसकी जगह 1992 बैच के अधिकारी पंकज श्रीवास्तव दिसंबर 2024 में स्पेशल डीजी के पद पर पदोन्नत होंगे। अभी वह एडीजी एसटीएफ हैं।

पांच स्पेशल डीजी 2025 में होंगे सेवानिवृत

मई 2025 तक पांच स्पेशल डीजी सेवानिवृत हो रहे हैं। उनके स्थान पर आदर्श कटियार, पवन श्रीवास्तव, मनीष शंकर शर्मा, जी अखेता सेमा और डीसी सागर स्पेशल डीजी बन सकेंगे। ये सभी 1992 बैच के अधिकारी हैं, यानी ये 32 वर्ष की सेवा के बाद स्पेशल डीजी बन पाएंगे। 1992 बैच में छह आईपीएस अधिकारी हैं।

1992 और 1993 बैच के आईपीएस अधिकारियों को मौका

अक्टूबर में 1991 बैच के अधिकारी योगेश मुद्गल को स्पेशल डीजी बनाया गया। अब बारी 1992 बैच की है। इसी कारण डीपीसी के लिए आनन-फानन में राज्य सरकार ने संघ लोक सेवा आयोग को अक्टूबर में प्रस्ताव भेजा था, जिस पर डीपीसी हो चुकी है। अब इस बैच के अधिकारियों की पदोन्नति में कोई दिक्कत नहीं है।

इनके बाद 1993 बैच के अधिकारी डीजी बनेंगे। इनमें सबसे ऊपर एडीजी कल्याण एवं लेखा अनिल कुमार का नाम है। इस बैच में कुल चार अधिकारी हैं। छोटे बैच होने के कारण वर्ष 2030 के बाद ऐसी स्थिति बनेगी कि डीजी के 12 पद भरने के लिए पात्र एडीजी ही नहीं रहेंगे।

डीजी बनने में मप्र कैडर के आईपीएस पीछे

अन्य राज्यों की बात करें तो आंध्र प्रदेश, मेघालय, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र सहित कुछ राज्यों में 1992 बैच तक के पुलिस अधिकारियों को डीजीपी या डीजी बनने का अवसर मिल चुका है, लेकिन मध्य प्रदेश में कई आईपीएस अधिकारी एडीजी बनने के पहले ही सेवानिवृत हो रहे हैं। इसकी वजह किसी वर्ष बहुत छोटा तो कभी बहुत बड़ा बैच होना है।