मध्य प्रदेश में पहली बार न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर सोयाबीन की खरीदी शुरू हुई, लेकिन किसान इसमें रुचि नहीं दिखा रहे हैं। 25 अक्टूबर से शुरू हुई खरीदी में अब तक 600 किसानों ने 1000 टन सोयाबीन बेचा। किसानों को बाजार में बेहतर दाम मिलने की उम्मीद है।
मध्य प्रदेश में पहली बार न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर सोयाबीन का उपार्जन किया जा रहा है लेकिन किसान इसमें रुचि नहीं दिखा रहे हैं। 25 अक्टूबर से प्रदेश में एमएसपी पर सोयाबीन खरीदी शुरू की गई है। अभी तक 600 किसानों ने ही लगभग 1000 टन सोयाबीन बेचा है जबकि इसके लिए 460 उपार्जन केंद्र बनाए गए हैं। पंजीयन के माध्यम से अब तक 14,000 किसानों ने स्लाट बुकिंग कराई है।
बाजार में समर्थन मूल्य के बराबर दाम
कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि बाजार में समर्थन मूल्य के बराबर दाम मिलने के कारण किसानों ने उपज रोक रखी है। उनका अनुमान है कि आगे चलकर सोयाबीन की उपज के और अच्छे दाम मिल सकते हैं।इधर, खरीदी केंद्रों में सोयाबीन में नमी अधिक होने के कारण सैंपल लौटाए जा रहे हैं, इसके कारण भी उपार्जन की गति धीमी है।
दूसरी ओर बाजार में 4,500 से लेकर 5,000 रुपये प्रति क्विंटल का भाव मिल रहा है। सोयाबीन का समर्थन मूल्य 4,982 प्रति क्विंटल निश्चित है लेकिन इससे कम मूल्य बाजार में मिलने के कारण किसानों ने समर्थन मूल्य पर खरीदी करने की मांग की थी।
दाम बढ़ने की उम्मीद
प्रदेश सरकार की मांग पर केंद्र सरकार ने 13. 68 लाख टन सोयाबीन के उपार्जन की अनुमति दी है। इसके लिए 3,43,000 किसानों ने पंजीयन कराया है। किसानों को उम्मीद है कि भाव और बढ़ेंगे इसलिए अभी वह उपज को रोककर रख रहे हैं। कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि अब सोयाबीन के दाने सूख रहे हैं। दीपावली का त्योहार भी हो गया है इसलिए खरीदी केंद्रों तक उपज आने में तेजी आएगी।