शासन स्तर पर भी अस्पतालों को आग से बचाने के लिए सख्त गाइडलाइन बनाई गई है, लेकिन अधिकतर अस्पताल अग्निशमन यंत्र रखकर खानापूर्ति कर लेते हैं। इसी वजह से अस्पतालों में आग लगने पर उन्हें काबू करने में दिक्कतों का सामना करता पड़ता है और अक्सर ये आग बेकाबू हो जाती है। इसके गंभीर परिणाम सामने आते हैं। अब सिम्स, जिला अस्पताल और मातृ-शिशु अस्पताल में ये नौबत नहीं आएगी।
आग को लेकर सभी अस्पताल बेहद संवेदनशील रहते हैं। 24 घंटे हाई पावर सप्लाई रहती है। ऐसे में बीच-बीच में अस्पतालों में आग लगने के मामले भी होते रहते हैं। इन बातों को ध्यान में रखकर ही आने वाले समय में यदि आग लगने जैसी घटना होती है
आधुनिक फायर सिस्टम से लैस सरकारी अस्पताल
तो उससे बचने के लिए शहर के प्रमुख सरकारी अस्पतालों सिम्स (छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान संस्थान), जिला अस्पताल और मातृ-शिशु अस्पताल में पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। ये तीनों अस्पताल आधुनिक फायर सिस्टम से लैस हो गए हैं। अब यदि किसी भी तरह से यहां आग भड़कती है तो फायर सिस्टम खुदबखुद सक्रिय हो जाएगा। साथ ही आग बुझाने वाले कर्मचारियों के पहुंचने से पहली ही आग बुझाने का काम शुरू कर देगा।
मिनटों में आग पर काबू
किसी भी कारण से आग लगे, उसे मिनटों में काबू में लाया जा सकेगा, क्योंकि आधुनिक फायर सिस्टम के तहत इन अस्पतालों के हर वार्ड, गलियारे और पूरे अस्पताल भवन में सेंसर युक्त फायर सिस्टम लगाया गया है। इसमें स्प्रिंकलर सबसे खास है। आग लगते ही इसका सेंसर सक्रिय हो जाएगा और जिस भी क्षेत्र में आग लगी है, वहां पर स्प्रिंकलर पानी की बरसात करने लगेगा।
इसी के साथ फायर सेफ्टी बाक्स, अग्निशमन यंत्र, स्थायी पाइपलाइन के साथ फैक्सीवल पाइपलाइन, आपातकालीन निकासी द्वार के साथ ही छत पर पानी टंकी का निर्माण कराया गया है। इस टंकी के पानी को महज एक मिनट के भीतर अस्पताल के किसी भी कोने तक पहुंचाया जा सकता है। साफ है कि फायर सेफ्टी को लेकर स्तरीय व्यवस्था कर ली गई है। ऐसे में अब आग लगने पर इन तीनों अस्पताल में मिनटों में आग पर काबू पाया जा सकेगा।
शार्ट सर्किट बनती है आग लगने की वजह
अस्पताल में आग लगने का प्रमुख कारण शार्ट सर्किट ही बनता है। पावर लोड बढ़ने पर पावर पैनल में शार्ट सर्किट होता है और ये बेकाबू हो जाता है। सिम्स में जब भी आग लगने की घटना हुई है उनकी मुख्य वजह शार्ट सर्किट बना है। पांच सालों में यहां एक बार गायनिक वार्ड और शिशु आइसीयू में आग लग चुकी है, जो बेकाबू भी हुई थी। इन बड़ी घटनाओं के बाद ही फायर सेफ्टी सिस्टम को सही करने की कवायद चली और अब आधुनिक फायर सेफ्टी से लैस हो चुके हैं।
अलार्म सिस्टम देता है पहले से जानकारी
आग लगने से रोकने के लिए अलार्म सिस्टम भी लगाया गया है। यह भी सेंसर युक्त है जो खुद ही आग लगने की आशंका की गणना कर अलार्म सिस्टम को सक्रिय कर देता है। यह सिस्टम पावर लोड की निगरानी करते रहता है। जैसे ही किसी भी क्षेत्र के पावर लाइन में लोड बढ़ता है तो यह सिस्टम सक्रिय हो जाता है। शार्ट सर्किट होने से पहले अलार्म बजाकर अलर्ट कर देता है, जो आग जैसे मामलों को रोकने में मील का पत्थर साबित हो रहा है।
निजी अस्पतालों की ओर देना होगा ध्यान
शहर में 151 छोटे-बड़े निजी अस्पताल हैं। कुछ बड़े अस्पतालों में फायर सिस्टम है। इनके अलावा ज्यादातर अस्पतालों में फायर सिस्टम को लेकर लापरवाही बरती जा रही है। महज अग्निशमन यंत्र लगाकर खानापूर्ति कर ली जाती है। हालांकि स्वास्थ्य विभाग ने इन निजी अस्पतालों को फायर सिस्टम आडिट कराने के बाद रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं, लेकिन इसके बाद भी निर्देशों का पालन ज्यादातर निजी अस्पताल नहीं कर रहे हैं। ऐसे में इन अस्पतालों का निरीक्षण कर फायर सेफ्टी फीचर सही करवाने की आवश्यकता है।