दो वर्ष से जीएसटी ट्रिब्यूनल की बेंच इंदौर में खोले जाने की मांग लेकर शहर के कारोबारी, कर पेशेवर लड़ाई लड़ रहे हैं। चुनावी दौर में इसे लेकर बड़े-बड़े वादे तक कर दिए गए। केंद्र सरकार ने भी इंदौर के नाम पर एनओसी दे दी। मगर, राज्य सरकार इंदौर में ट्रिब्यूनल की बेंच बनाने पक्ष में नहीं है।
इंदौर में जीएसटी अपीलेट ट्रिब्यूनल की बेंच स्थापित नहीं होगी। भले ही वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस पर सहमति दी हो। सांसद शंकर लालवानी में संसद में मुद्दा उठाया हो। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने वादा किया हो और इंदौर के व्यापारी कर सलाहकारों ने आंदोलन से लेकर कोर्ट की शरण भी ली हो। ये सभी कोशिशें फेल नजर आ रही है।
राज्य सरकार ने इंदौर के दावे को नकार दिया है। दो वर्ष से जीएसटी ट्रिब्यूनल की बेंच इंदौर में खोले जाने की मांग लेकर शहर के कारोबारी, कर पेशेवर लड़ाई लड़ रहे हैं। पहले ट्रिब्यूनल बेंच खोलने में हो रही देरी को लेकर संघर्ष हुआ। इसके बाद इंदौर को अनदेखा करने के खिलाफ लड़ाई शुरू हुई।
डेढ़ वर्षों में इंदौर के व्यापारियों और कर सलाहकारों को मुख्यमंत्री से लेकर केंद्रीय वित्तमंत्री तक से आश्वासन मिला। सब मान भी बैठे थे कि इंदौर में बेंच खुलेगी। अब खबर आई है कि केंद्र सरकार ने भले ही इंदौर के नाम पर एनओसी दे दी, लेकिन राज्य सरकार इंदौर में ट्रिब्यूनल की बेंच बनाने पक्ष में नहीं है।
ऑनलाइन मोड में हो रही सुनवाई
प्रदेश सरकार ने पहले कहा था कि वो केंद्र को प्रस्ताव भेजेगा, लेकिन अब इसे रद्दी की टोकरी के हवाले कर दिया गया है। राज्य जीएसटी के अधिकारियों को सरकार की ओर से संदेश दे दिया गया है कि इंदौर में बेंच की जरूरत ही नहीं है क्योंकि ताजा दौर में सभी सुनवाई ऑनलाइन मोड में हो रही हैं।
ऐसे में ट्रिब्यूनल कहीं भी रहे लोकेशन से फर्क नहीं पड़ेगा। इसके बाद इंदौर स्थिति वाणिज्यिककर मुख्यालय ने भी इस बारे में कोशिश और पत्राचार बंद कर दिया है। विभागीय सूत्र बता रहे हैं कि ऊपर से साफ संदेश दिया गया है कि केंद्र को तो सिर्फ नोटिफिकेशन जारी करना है।
मगर, ट्रिब्यूनल की बेंच खोलने पर उसके सेटअप से लेकर अधिकारी-कर्मचारियों के खर्च का बोझ राज्य सरकार पर आएगा। खस्ता माली हालत से परेशान प्रदेश सरकार ऐसे में अपने खजाने जीएसटी ट्रिब्यूनल बेंच का खर्च उठाना नहीं चाहती।
मप्र में सिर्फ एक जीएसटी
कर कानून में कर विवादों की सुनवाई व निराकरण के लिए अपीलेट ट्रिब्यूनल की व्यवस्था दी गई है। वाणिज्यिकर का मुख्यालय इंदौर में है, आयकर अपीलेट ट्रिब्यूनल इंदौर में और कंपनी ला ट्रिब्यूनल से लेकर हाई कोर्ट की बेंच भी इंदौर में है। सबसे ज्यादा राजस्व देने से लेकर करदाता इंदौर क्षेत्र में हैं।
ऐसे में इंदौर का दावा पक्का माना जा रहा था। जुलाई 2023 में केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने सभी प्रदेशों में अपीलेट ट्रिब्यूनल की स्थापना की अधिसूचना जारी की। इंदौर का नाम इसमें नहीं था। इससे भी बड़ी हैरानी ये कि छत्तीसगढ़ से लेकर गुजरात हो राजस्थान या अन्य 11 राज्य ऐसे हैं, जहां एक से अधिक शहरों में ट्रिब्यूनल की बेंच दी गई हैं।
मगर, मप्र में सिर्फ भोपाल में इकलौती बेंच रखी गई। इसके बाद से संघर्ष शुरू हुआ। संसद में मामला उठा, तो दिसंबर 2023 में केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने भी कह दिया कि हमें इंदौर में बेंच खोलने में कोई आपत्ति नहीं है। राज्य सरकार नाम भेजे हम मंजूरी दें देंगे। इसके बाद इंदौर समेत पूरे मालवा-निमाड़ के व्यापारी एकजुट हो गए थे। चुनावी मौसम में प्रदेश सरकार ने हामी भरी, लेकिन अब किनारा कर लिया है।
अभी जीवित है याचिका
कर पेशवरों का मानना है कि इंदौर और मालवा निमाड़ में सबसे अधिक जीएसटी रजिस्टर्ड व्यापारी है। जीएसटी से जुड़े कर विवादों की सुनवाई के लिए उन्हें भोपाल जाना होगा। साथ में सीए, कर सलाहकारओं और वकीलों को भी दौड़ लगाना होगी। ऐसे में इंदौर में बेंच होना चाहिए।
इस संबंध में टैक्स प्रेक्टिशनर्स एसोसिएशन ने हाई कोर्ट में याचिका भी दाखिल की थी। हालांकि सितंबर 2023 के बाद यह याचिका सुनवाई पर ही नहीं आई क्योंकि सरकारी आश्वासनों के भरोसे सब लोग आश्वस्त हो गए थे।