वन परिक्षेत्र प्रतापपुर में लंबे समय से सक्रिय नौ हाथियों का दल बलरामपुर जिले की ओर निकल गया, इधर ग्रामीण इलाकों से लगे जंगलों में 35 हाथियों ने अपना डेरा जमा लिया है। जो हाथी प्रभावित क्षेत्र के ग्रामीणों के लिए एक बड़ी मुसीबत बने हुए हैं।यह 35 हाथी वन परिक्षेत्र के करंजवार, पार्वतीपुर, केंवरा, पंडोपारा व वनक्षेत्र धरमपुर के सिंघरा, भरदा आदि गांवों से लगे जंगल में लगातार चहलकदमी कर रहे हैं। इतनी बड़ी संख्या में हाथियों की मौजूदगी से संबंधित क्षेत्रों के ग्रामीणों में भय देखा जा रहा है।
हाथी धान व गन्ने की खड़ी फसल को लगातार नुकसान पहुंचाने में लगे हुए हैं। हालांकि वन विभाग की इन हाथियों के ऊपर लगातार निगरानी बनी हुई है। वन विभाग व हाथी मित्र दल के सदस्यों की संयुक्त टीम हाथियों को ग्रामीण बस्तियों की ओर जाने से रोकने के लिए कड़ी मशक्कत कर रही है। फिर भी हाथियों के डर से अपनी सुरक्षा को लेकर आशंकित ग्रामीण दिन भर मेहनत मजदूरी करने के बाद रात भर जागने को मजबूर बने हुए हैं। बुधवार को भी प्रतापपुर के रिहायशी इलाके से लगभग पांच किलोमीटर की दूरी पर स्थित करंजवार के भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) गोदाम के आसपास मौजूद जंगल में इन पैंतीस हाथियों की मौजूदगी बनी रही।
शाम होने के बाद हाथी करंजवार से लगी घरहरी नदी में उतरे और पानी पीकर सरहरी से होते हुए सिंघरा की ओर बढ़ने लगे। इस बीच संयुक्त टीम ने एहतियातन सरहरी-सिंघरा वन मार्ग को बंद कर राहगीरों की आवाजाही पर रोक लगा दी थी। हाथियों को सर्च लाइट की रोशनी, सायरन की आवाज व तेज हल्ला करते हुए जंगल के भीतर ही रोकने का भरसक प्रयास किया जाने लगा तो हाथी सिंघरा की ओर न जाकर भरदा की तरफ निकल गए। जहां पेंडारपारा में स्थित खेतों में लगी धान व गन्ने की खड़ी फसल को जमकर क्षति पहुंचाई। बता दें कि वन परिक्षेत्र प्रतापपुर में दशकों से लगातार बनी हुई हाथियों की मौजूदगी ने ग्रामीणों का सुख चैन छीन रखा है। हाथियों की आक्रामकता ने असमय ही दर्जनों ग्रामीणों को मौत के मुंह में पहुंचाया है। दर्जनों ग्रामीण घायल भी हुए हैं। हाथियों ने सैकड़ों घरों को क्षतिग्रस्त किया है। अब तक हजारों एकड़ भूमि में लगी फसलों को भी जबर्दस्त नुकसान पहुंचाया है।
जानिए कितना है क्षति के मुकाबले निर्धारित मुआवजा-
12 जून 2015 को वन विभाग छत्तीसगढ़ शासन के सचिव द्वारा जारी नवीन आदेश के अनुसार हाथी या अन्य किसी हिंसक वन्य प्राणी के हमले में किसी इंसान की मृत्यु होने पर छह लाख रुपए, स्थाई रूप से अपंग होने पर दो लाख रुपए, गंभीर घायल होने पर 59 हजार सौ रुपए व मवेशी की मृत्यु होने पर 30 हजार रुपए क्षतिपूर्ति देने का प्रावधान है।
वहीं वन विभाग छत्तीसगढ़ शासन के अवर सचिव द्वारा 28 जून 2016 को ज़ारी नवीन आदेश के अनुसार हाथी या किसी भी हिंसक वन्य प्राणी द्वारा सामान्य क्षेत्र में बने कच्चे मकान को 25 प्रतिशत क्षतिग्रस्त करने पर 23800, 50 प्रतिशत पर 47600, 75 प्रतिशत पर 71400 व 100 प्रतिशत क्षतिग्रस्त करने पर 95100 रुपए क्षतिपूर्ति देने का प्रावधान है। तथा पहाड़ी क्षेत्रों में बने कच्चे मकानों को 25 प्रतिशत क्षतिग्रस्त करने पर 25500, 50 प्रतिशत पर 51000, 75 प्रतिशत पर 76400 व 100 प्रतिशत क्षतिग्रस्त करने पर एक लाख एक हजार नौ सौ रुपए देने का प्रावधान बनाया गया है।
इसके अलावा हाथी या हिंसक वन्य प्राणी द्वारा पक्के मकानों को क्षतिग्रस्त करने पर भी मुआवजा राशि देने का प्रावधान बनाया गया है पर इसमें कच्चे मकानों के लिए क्रमानुसार बताई गई मुआवजा राशि की तुलना में 0.1 प्रतिशत मुआवजा राशि कम दी जाती है। इसके अलावा वन्य प्राणियों द्वारा फसल नुकसान करने पर भी प्रति हेक्टेयर 22239 रुपए मुआवजा राशि देने का प्रावधान बनाया गया है।