घरेलू हिंसा की शिकार महिलाओं को मिलेगा प्रेरणा दायिनी जेंडर संसाधन केंद्र में आश्रय

घरेलू हिंसा की शिकार महिलाओं को मिलेगा प्रेरणा दायिनी जेंडर संसाधन केंद्र में आश्रय


केंद्र में विभिन्न समूहों की जागरूक और सक्रिय महिलाओं को जोड़ा जा रहा है। ये महिलाएं न केवल पीड़ितों को आश्रय प्रदान करने में मदद करेंगी, बल्कि उन्हें घरेलू हिंसा से बाहर निकालने के लिए आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा भी देंगी।बिहान कार्यक्रम के तहत महिलाओं को कानूनी सहायता व पुलिस सहायता दिलाने का भी प्रयास किया जाएगा।

बिहान के माध्यम से समाज में महिलाओं के अधिकार और सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में समूह की महिलाएं सामने आ रही है। महिलाओं की माने तो स्थानीय प्रशासन और सामाजिक संगठनों का भी उन्हें सहयोग मिल रहा हैं, उन्हें वर्तमान में केवल योजना बनाई है जिसे तरह से पीडि़त उनके पास पहुंचेगी उसके अनुसार ही वह आगे की योजना बना कर पीड़िताओं की मदद करेंगी।

महिला सशक्तीकरण की मिसाल है सुनीता, बैंक में ग्राहक सेवा को देती हैं प्राथमिकता

बिलासपुर। बैंकर्स के व्यवहार को लेकर ग्राहक अक्सर असंतुष्ट रहते हैं। विरले होते हैं जो ग्राहकों का दिल जीत लेते हैं। उन्हीं में से एक है पंजाब नेशनल बैंक रेलवे शाखा की प्रधान खजांची सुनीता चौधरी। एक समर्पित बैंक कर्मचारी के साथ महिला सशक्तिकरण की मिसाल हैं।

सुनीता के व्यवहार और कामकाज को लेकर ना केवल ग्राहक प्रशंसा करते हैं बल्कि बैंक से भी कई सम्मान प्राप्त हो चुका है। समाज में एक प्रतिष्ठित नाम के साथ इनके कामकाज को लेकर बाकी बैंकों में भी खूब चर्चा होती है। बुजुर्ग ग्राहक फूल बाई यादव कहती हैं कि वे सिर्फ सुनीता मैडम का नाम जानती है। जो टिफिन टाइम में भी अक्सर कुर्सी पर होती है। कभी किसी ग्राहकों को असंतुष्ट नहीं करती।

गणेश नगर निवासी ग्राहक वी रामगुरू कहते हैं कि बैंक में एक सुनीता मैडम है जिनका काम सबसे अच्छा लगता है। वहीं सुनीता के बारे में यह भी पता चला कि वह परिवार के प्रति अपनी जिम्मेदारियों का भी खूब अच्छे से निवर्हन करती है।

सुबह घर-परिवार व बच्चों का ध्यान रखने के बाद दिनभर ग्राहकों की सेवा करती हैं। उनकी जुझारू मेहनत और सच्ची प्रेरणा यह साबित करती है कि एक महिला किसी भी चुनौती का सामना करते हुए सफलता की नई ऊंचाइयां छू सकती है।

सुनीता का दिन सिर्फ बैंक तक सीमित नहीं है। बैंक में ग्राहक सेवा करते हुए वे कभी-कभी खुद की जेब से राशि भरती हैं। जब मिलान के दौरान कोई कमी होती है। उनके लिए यह कोई बड़ी बात नहीं है। यह उनका कर्तव्य है। उनका दिन खत्म होने पर वे घर लौटकर फिर से एक गृहणी के रूप में जिम्मेदारी निभाती हैं।