बंगाल प्रवास पर आए राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने राज्य में संघ की गतिविधियां बढ़ाने का निर्देश दिया है। संघ सूत्रों के अनुसार, यहां संघ की क्षेत्रीय कार्यकारी समिति की बैठक में भागवत द्वारा दिए गए निर्देशों से साफ स्पष्ट है कि आरएसएस का लक्ष्य बंगाल में अपनी पैठ को मजबूत करना है। दरअसल, आरएसएस चीफ मोहन भागवत बंगाल के 10 दिवसीय प्रवास पर छह फरवरी की शाम कोलकाता पहुंचे थे। यहां आने के बाद भागवत 10 फरवरी तक आरएसएस के दक्षिण बंगाल नेतृत्व व प्रचारकों के साथ बैठकों में व्यस्त रहे।
चुनाव से पहले RSS की बंगाल में पैठ
राज्य में अगले साल होने वाले विधानसभा के मद्देनजर भागवत का दौरा अहम माना जा रहा है। बताया जा रहा है कि क्षेत्रीय कार्यकारी समिति की बैठक में भागवत ने राज्य में सक्रियता बढ़ाने के लिए स्वयं सेवकों को कई महत्वपूर्ण दिशा निर्देश दिए हैं। हालांकि संघ के पदाधिकारियों ने इस बारे में आधिकारिक तौर पर कुछ भी कहने से इनकार किया है। सूत्रों के अनुसार, आने वाले एक वर्ष तक विशेषकर दक्षिण बंगाल के जिलों में संघ के स्वयंसेवकों को दोगुनी शक्ति के साथ अपनी सक्रियता बढ़ाने को कहा गया है, जहां आरएसएस की स्थिति कमजोर है।
बीजेपी भी विधानसभा चुनाव में जुटी
राज्य में मुख्य विपक्षी भाजपा भी अगले साल विधानसभा चुनाव से पहले राज्य में पार्टी कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने में जुटी है। भाजपा नेताओं का कहना है कि यदि अंग यानी बिहार, कलिंग यानी ओडिशा जीत सकते हैं तो बंगाल में भी जीत संभव है। वहीं, बंगाल में सक्रियता को लेकर दक्षिण बंगाल के आरएसएस के एक पदाधिकारी ने बताया कि इस समय संघ अपना शतवार्षिक मना रहा है। इसे लेकर स्वयं सेवकों में काफी उत्साह है। इस उत्साह को ही सरसंघचालक भागवत काम में लगाना चाह रहे हैं।
बंगाल में सक्रियता बढ़ाने की कोशिश में आरएसएस
पड़ोसी बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर हो अत्याचार के खिलाफ भी लगातार प्रचार चलाने का निर्देश दिया गया है। बताया जा रहा है कि मार्च से संघ परिवार के सदस्य राज्य में अपनी सक्रियता बढ़ाने के लिए मैदान में उतर जाएंगे। उनका मूल लक्ष्य बहुसंख्यक हिंदुओं को एकजुट करना है। कोलकाता के बाद अब बर्धमान जिलेमें भागवत के कई कार्यक्रम हैं।