बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के तख्तापलट के बाद दंगों की भयावह तस्वीर ने दुनिया को चिंतित कर दिया है। खासकर, भारत बांग्लादेश में हो रहे हर घटनाक्रम पर लगातार नजर रख रहा है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को राज्यसभा में कहा कि सरकार बांग्लादेश के राजनीतिक घटनाक्रम पर निरंतर नजर रखे हुए है और जब तक वहां कानून व्यवस्था की स्थिति सामान्य नहीं हो जाती भारत की गहरी चिंता बनी रहेगी। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में अभी भी 19 हजार भारतीय नागरिक फंसे हुए हैं, जिनमें अधिकतर छात्र हैं। हम उनसे लगातार संपर्क में हैं।
जयशंकर ने बांग्लादेश के घटनाक्रम पर राज्यसभा में बयान देते हुए कहा कि पड़ोसी देश का राजनीतिक घटनाक्रम चिंता का विषय है और सरकार अपने राजनयिक मिशनों के माध्यम से वहां रह रहे भारतीय नागरिकों से बराबर संपर्क बनाये हुए है। उन्होंने कहा कि वहां भारत के 19 हजार नागरिक हैं जिनमें करीब नौ हजार छात्र हैं और इनमें से काफी छात्र जुलाई में स्वदेश आ गये थे।
बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की स्थिति पर नजर
विदेश मंत्री ने कहा कि भारत बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की स्थिति पर भी निगाह रखे हुए है। वहां से ऐसी रिपोर्ट आ रही हैं कि कई समूह और संगठन अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और सलामती के लिए कदम उठा रहे हैं। उन्होंने कहा , “ स्वभाविक है कि जब तक वहां कानून व्यवस्था की स्थिति सामान्य नहीं हो जाती हमारी गहरी चिंता बनी रहेगी। ” विदेश मंत्री ने बताया कि सीमाओं पर तैनात सुरक्षा बलों को बांग्लादेश की जटिल स्थिति को देखते हुए असाधारण रूप से चौकस रहने के निर्देश दिये गये हैं। उन्होंने कहा कि भारत पिछले 24 घंटों से ढाका में अधिकारियों के साथ संपर्क बनाये हुए है।
पीएम हसीना ने मांगी थी भारत की मदद
बांग्लादेश के घटनाक्रम की विस्तार से जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि पांच अगस्त को ढाका में कर्फ्यू लागू होने के बावजूद प्रदर्शनकारी बड़ी संख्या में सड़कों पर जमा हो गये थे। हम समझते हैं कि वहां के सुरक्षा प्रतिष्ठान (सेना) के साथ एक बैठक के बाद प्रधानमंत्री शेख हसीना ने इस्तीफा देने का निर्णय किया और थोड़े समय के नोटिस पर उन्होंने कुछ समय के लिए भारत आने की अनुमति का अनुरोध किया था। उन्होंने कहा कि साथ ही हमें बांग्लादेश के अधिकारियों से हवाई उडान की अनुमति का भी अनुरोध मिला और वह (हसीना) सोमवार शाम दिल्ली आ गयी।
दो दिन पहले बिगड़े हालात
विदेश मंत्री ने कहा कि बांग्लादेश में चार अगस्त को स्थिति ने गंभीर मोड़ लिया और पुलिस थानों तथा सरकारी प्रतिष्ठानों पर हमले होने लगे जिसके बाद हिंसा ने व्यापक रूप ले लिया । सरकार में शामिल लोगों की संपत्तियों पर पूरे देश में हमले होने लगे। विदेश मंत्री ने कहा कि खास तौर से चिंता की बात यह है कि अल्पसंख्यकों , उनके व्यवसायिक प्रतिष्ठानों और मंदिरों पर भी कई जगह हमले हुए। इन हमलों का पूरा विवरण अभी स्पष्ट नहीं है।
जुलाई से जारी है हिंसा
जयशंकर ने कहा कि बंगलादेश में इस वर्ष जनवरी में हुए चुनाव के बाद से तनाव बढ गया था और वहां की राजनीति में ध्रुवीकरण और विभाजन गहरा होने लगा था। इस पृष्ठभूमि में जून में शुरू हुए विद्यार्थियों के आंदोलन ने स्थिति को और गंभीर बना दिया। हिंसा की घटनाएं बढने लगी , सरकारी इमारतों पर हमले होने लगे , सड़क और रेल मार्गों पर बाधा पहुंचायी गयी। यह हिंसा जुलाई में भी जारी रही।
विदेश मंत्री ने स्पष्ट किया कि इस अवधि में हमने बराबर संयम बरतने की सलाह दी और आग्रह किया कि स्थिति को बातचीत से सामान्य किया जाये। हमने विभिन्न राजनीतिक शक्तियों से भी इसी तरह का आग्रह किया जिनके साथ हमारा संपर्क था। विदेश मंत्री ने कहा कि 21 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बावजूद सार्वजनिक प्रदर्शनों में कोई कमी नहीं आयी। उसके बाद वहां की सरकार के फैसलों और कार्रवाईयों से स्थिति सुधरने के बजाय बिगड़ती गयी और आंदोलन ऐसे माेड पर पहुंच गया जहां केवल एक ही मांग रही गयी थी कि प्रधानमंत्री हसीना इस्तीफा दें।
उन्होंने कहा कि भारत और बांग्लादेश के संबंध विभिन्न सरकारों के कार्यकाल में दशकों से असाधारण रूप से प्रगाढ़ रहे हैं। बांग्लादेश में हिंसा और अस्थिरता को लेकर भारत में सभी दलों की चिंता समान है।