अनूठी परंपरा: दीपावली बाद गंगरेल मड़ई मेला में पहुंचते हैं देवी-देवता, संतान की कामना के लिए महिलाएं करती हैं खास पूजा

अनूठी परंपरा: दीपावली बाद गंगरेल मड़ई मेला में पहुंचते हैं देवी-देवता, संतान की कामना के लिए महिलाएं करती हैं खास पूजा


गंगरेल मड़ई का आयोजन धमतरी जिले के मां अंगारमोती मंदिर परिसर में धूमधाम से हुआ, जिसमें 52 गांवों के देवी-देवता और 45 गांवों के आंगा देवता शामिल हुए। पूजा-अर्चना के बाद बैगाओं की टोली ध्वज और डांग के साथ नाचते हुए मेला परिसर से गुजरी। विशेष परंपरा के तहत, निस्संतान महिलाएं पेट के बल लेटकर संतान प्राप्ति की कामना करती हैं, और बैगाओं की टोली उनके ऊपर से गुजरती है।

गंगरेल मड़ई, जो हर साल दिवाली के बाद पड़ने वाले पहले शुक्रवार को आयोजित होता है, इस बार भी धमतरी जिले के मां अंगारमोती मंदिर परिसर में अपार धूमधाम से मनाया गया। इस धार्मिक आयोजन में 52 गांवों के देवी-देवता और 45 गांवों के आंगा देवता शामिल हुए, जिसे देखने हजारों लोग मंदिर परिसर में जुटे। पूजा-अर्चना के बाद मड़ई का आयोजन हुआ, जिसमें भक्तों ने श्रद्धा और विश्वास से भाग लिया।

गंगरेल मड़ई की खास बात यह है कि इस मेला में शामिल होने के लिए धमतरी, बालोद, कांकेर और कोंडागांव जिलों के देवी-देवता और आंगा देवता विभिन्न गांवों से मंदिर परिसर पहुंचे। पूजा-अर्चना के बाद बैगाओं की टोली, मड़ई, ध्वज और डांग लेकर नाचते-गाते मंदिर परिसर से गुजरते हुए भक्तों को आशीर्वाद देती है। इस दौरान मंदिर परिसर में देवी-देवता और आंगा देवता के दर्शन करने के लिए लोगों की भीड़ लगी रही।

संतान की कामना के लिए ये है मान्‍यता

मड़ई के मुख्य आकर्षण में शामिल थीं वे महिलाएं जो संतान की कामना लेकर मंदिर परिसर में पेट के बल लेट गईं। मान्यता के अनुसार, बैगाओं की टोली जब इन महिलाओं के ऊपर से गुजरती है, तो उन्हें माता की कृपा मिलती है और संतान प्राप्ति होती है। इस परंपरा में 200 से अधिक महिलाएं शामिल हुईं, जो अपने सपने को साकार करने की उम्मीद से इस विशेष पूजा में भाग ले रही थीं।

मेला परिसर में झूला, दुकानें और अन्य सामग्रियां लगी हुई थीं, जहां लोग खरीदारी और मस्ती करते हुए मड़ई का आनंद ले रहे थे। बैगाओं और उनके ध्वज के साथ चलने वाले लोग नृत्य करते हुए देवी-देवता की पूजा कर रहे थे, जबकि मेला में धार्मिक अनुष्ठान और भक्तिपूर्ण माहौल का समां था।

गंगरेल मड़ई, जो अपनी धार्मिक आस्था और लोक परंपराओं के लिए प्रसिद्ध है, इस बार भी एक भव्य आयोजन के रूप में मनाया गया, जिससे भक्तों की आस्था और विश्वास और भी मजबूत हुआ।