स्कूलों के दरवाजे पर नशे का धुआं, जिम्मेदारों की आंखें बंद!

स्कूलों के दरवाजे पर नशे का धुआं, जिम्मेदारों की आंखें बंद!


न्यायधानी में तंबाकू नियंत्रण कानून (कोटपा) लागू होने के बावजूद इसके प्रभावी क्रियान्वयन में प्रशासनिक लापरवाही साफ झलक रही है। रेलवे परिक्षेत्र और स्कूलों के आसपास के इलाकों में तंबाकू उत्पादों की बिक्री धड़ल्ले से जारी है, जो बच्चों में नशे की लत को बढ़ावा दे रहा है।

शहर के विभिन्न विद्यालयों के पास तंबाकू उत्पादों की बिक्री के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है। कई स्कूलों के आसपास सिगरेट और गुटखा जैसी वस्तुएं खुलेआम बिक रही हैं। हालात यहां तक खराब हैं कि रेलवे स्कूल नंबर दो के मेन गेट के पास ही तंबाकू उत्पाद की दुकानें संचालित हैं। इन दुकानों पर न केवल सिगरेट और गुटखा, बल्कि गुड़ाखू जैसे नशीले उत्पाद भी आसानी से उपलब्ध हैं। रेलवे क्षेत्र के अंतर्गत आरपीएफ, जीआरपी और तोरवा पुलिस की जिम्मेदारी है कि वे स्कूलों के आसपास अवैध तंबाकू उत्पाद बिक्री पर रोक लगाएं। इसके बावजूद ये विभाग मूकदर्शक बने हुए हैं। पुलिस के जवान खुद कई बार तंबाकू उत्पादों की दुकानों पर खड़े पाए जाते हैं, जिससे दुकानदारों को कानून का डर नहीं है। खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग भी इस पर कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है, जिससे तंबाकू व्यापारियों के हौसले बुलंद हैं। रेलवे क्षेत्र के अलावा अन्य कई स्कूलों के बाहर भी यही स्थिति है। यहां बच्चों को नशे की लत लग रही है और वे सिगरेट पीते हुए भी देखे गए हैं।

00 धारा 6: 1 8 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को तंबाकू बेचने पर प्रतिबंध है।

00 धारा 6(बी): किसी शिक्षण संस्थान के 100 मीटर के दायरे में तंबाकू बेचना अपराध है।

00 धारा 7: बिना चित्र और चेतावनी के तंबाकू उत्पाद बेचना प्रतिबंधित है।

00 धारा 5: एक से पांच वर्ष कैद और एक से पांच हजार रुपये तक जुर्माना

00 धारा 7: बिना चित्र चेतावनी के उत्पाद बेचने पर सजा

युवाओं में बढ़ रही नशे की लत

इस लापरवाही के कारण युवाओं में नशे की लत दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है। दुकानदार बिना किसी भय के तंबाकू उत्पाद बेच रहे हैं और बच्चों को इन उत्पादों की लत लग रही है। प्रशासनिक अनदेखी से यह समस्या और गंभीर होती जा रही है। तत्काल इस ओर ध्यान नहीं दिया गया तो स्थिति गंभीर होगी। रेलवे परिक्षेत्र में कुकुरमुत्ते की तरह तंबाकू उत्पाद बेचने वाले दुकानें खुलती जा रही हैं। रेलवे के जोनल स्टेशन के बाहर रात में भी ये सामग्री बिकती है।

कलेक्टर की नाराजगी, फिर भी कार्रवाई शून्य

बिलासपुर कलेक्टर अवनीश शरण ने भी स्कूलों और कालेजों के बाहर तंबाकू उत्पादों की बिक्री पर कड़ी नाराजगी जताई है। उन्होंने प्रशासन को सख्त कदम उठाने का निर्देश दिया था। फिर भी पुलिस और औषधि प्रशासन विभाग की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। रेलवे क्षेत्र जैसे सुरक्षित माने जाने वाले इलाके में नशे का बढ़ता कारोबार युवाओं और नाबालिगों के लिए खतरा बन गया है।

तत्काल रोक की जरूरत

शहर में कोटपा कानून को प्रभावी ढंग से लागू करने में प्रशासनिक उदासीनता बच्चों के भविष्य के लिए खतरा बना हुआ है। रेलवे परिक्षेत्र के आस-पास तंबाकू उत्पादों की बिक्री पर तुरंत रोक लगाई जानी चाहिए, ताकि युवाओं को नशे के इस जाल से बाहर निकाला जा सके। प्रशासन और पुलिस विभाग की निष्क्रियता को सुधारने के लिए सख्त निगरानी और समय पर कार्रवाई अनिवार्य है।

ये हैं जिम्मेदार:

पुलिस, स्वास्थ्य व नगर निगम

कोटपा एक्ट के तहत बनाए गए कानून के अनुसार स्कूल कालेज के सामने तंबाकू उत्पाद बेचने वाले दुकानें संचालित नहीं की जा सकतीं। इसके लिए कड़े कानून बनाए गए हैं। कार्रवाई के भी निर्देश है। जिसमें पुलिस, स्वास्थ्य विभाग और नगर निगम की संयुक्त टीम को कार्रवाई करते हुए इन्हें जुर्माने के साथ तत्काल बंद कराना है। लेकिन वर्तमान में तोरवा पुलिस के टीआइ राहुत तिवारी, स्वास्थ्य विभाग के सीएचएमओ डा.प्रमोद तिवारी एवं नगर निगम आयुक्त अमित कुमार इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं।

जिम्मेदारों पर करेंगे कार्रवाई

आरपीएफ, जीआरपी और खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग को तत्काल कार्रवाई का निर्देशित दिए गए हैं। किसी भी प्रकार की लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों पर भी कड़ी कार्रवाई की जाएगी। शहर में कोटपा कानून का सख्ती से पालन होगा। बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ किसी स्थिति में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

अवनीश शरण

कलेक्टर, बिलासपुर